लेखनी कहानी -01-Sep-2022 सौंदर्या का अवतरण

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 -सौंदर्या का अवतरण

१- तानों का अंत-

"सौंदर्या का अवतरण" एक निसंतान नव दंपति की कहानी है जो शादी के दो साल बाद भी औलाद न होने की वजह से बहुत परेशान हैं और दुनिया वालों के ताने सुनते रहते हैं।

श्रेया और श्रवण दोनों नव दंपति जिनकी अभी हाल ही में शादी हुई है। और जो अपनी नई गृहस्थी  में बड़े खुशहाल जीवन को बिताते हुए खुश हैं। दोनों पति पत्नी नौकरी करते हैं। दिन भर काम करने के बाद थके हारे घर आते हैं,तो दोनों बड़े प्यार से अपने खुशहाल जीवन में मस्त रहते हैं। धीरे-धीरे समय बीत रहा है शादी को दो साल हो चुके हैं। 

परंतु श्रेया और श्रवण के घर अभी किसी नन्हे मेहमान का अवतरण नहीं हुआ है, जिसकी वजह से श्रेया के माता पिता रुपी सास ससुर  बच्चे के लिए बार-बार याद दिलाते रहते हैं। श्रेया भी मां बनना चाहती है, परंतु भगवान की ऐसी कृपा उन पर नहीं हो रही है। या यूं कहिए कि अभी उनके माता-पिता बनने का समय नहीं आया है।

धीरे धीरे घर परिवार और दुनिया वालों के तानों की संख्या बढ़ती चली जा रही है। कभी कोई कहता कि अब इसके बच्चे नहीं होंगे, अभी श्रवण की दूसरी शादी कर दो, कोई कहता.... कि यह बांझ है, कोई कहता है..... ऐसी निसंतान औरत का मुंह नहीं देखना चाहिए, कोई कहता सुबह सुबह इसके दर्शन हो गए।  पता नहीं..... आज का दिन कैसे बीतेगा। 

श्रेया इन तानों को सुन सुनकर अंदर से बहुत घायल सी हो जाती है, उसके हृदय पर इन शब्दों का हृदयाघात जो उससे सहा नहीं जाता. परंतु क्या करें मजबूरी में उसे सब कुछ सुनकर सहन करना पड़ता है। क्या श्रेया ऐसा चाहती है, कि वह मां ना बने। परंतु दुनिया वाले यह नहीं समझते कि वह भी अपने दिल से मां बनना चाहती है। हर नारी के दिल पर मां ...बनने का एक गहन सपना होता है। उसका दिल इतना कोमल और ममतामई होता है। जो मां बनने के लिए तड़पता रहता है,और मां बनना तो हर नारी के लिए परिपूर्णता का प्रतीक है। जब कोई नारी मां बनती है, तो उसके अंदर ममतामई मां का कोमल रूप निखरकर बाहर आ जाता है। और अपने बच्चे को छाती से लगाकर एक सुख की अनुभूति प्राप्त करती है। तब यह पंक्ति चरितार्थ होती है। -

"आंचल में है दूध और आंखों में पानी।"

उस समय उसकी आंखों में खुशी के आंसू होते हैं, आंचल में बच्चे के लिए दूध होता है। और वही दूध उस नन्हें शिशु को पौष्टिक आहार देता है। और पालन पोषण करता है। परन्तु श्रेया का सीना.... तानों से छलनी हुआ रहता है। वह हमेशा भगवान से दुआ करती है, कि हे भगवान मेरी गोदी में एक संतान डाल दो, जिससे इस दुनिया के तानों से मैं निजात पा सकूं। 

परंतु उसकी दुआएं कबूल नहीं होती है, उधर श्रवण ...श्रेया को परेशान देखकर परेशान होता रहता है। वह भी पिता बनना चाहता है। परंतु श्रेया और श्रवण दोनों एक दूसरे को ढांढस बंधाते रहते हैं, कि धैर्य रखो सब ठीक हो जाएगा। परंतु अंदर ही अंदर दोनों यह सोचते हैं, कि अब क्या होगा। सोच सोच कर दोनों ही बड़े उदास रहने लगे थे, ऑफिस भी जाते और वहां भी चेहरे पर उदासी लिए काम करते रहते। अब उनकी उदासी ऑफिस के साथियों को बर्दाश्त नहीं होती थी। सभी पूछते कि तुम्हारी उदासी का क्या कारण है,पर श्रेया और श्रवण किसी को कुछ नहीं बताते। अंदर ही अंदर बस घुलते रहते।

श्रेया और श्रवण जब किसी के छोटे बच्चे को देखते, तो उनकी आंखों में एक चमक सी छा जाती।और मन में अपने बच्चे का ख्याल आ जाता। उस बच्चे में वह अपने बच्चे को देखते और कुछ सेकंड के लिए उनका अंतर्मन आल्हादित.... हो जाता। जैसे उन्हें दुनिया जहान की खुशियां मिल गई हो। पर यह क्या अगले ही पल..  श्रेया और श्रवण का सपना टूट जाता और उनकी दुनिया पहले जैसी वीरान हो जाती। चित्ताकाश..... पर  दुखों की बदली.. छा जाती और आंसुओं.. की बारिश.. शुरू हो जाती। श्रेया के आंसुओं के सरोवर में श्रवण का दिल डूब  जाता। दोनों ही संतान के लिए बहुत परेशान थे। ना किसी से कुछ पूछते, न ही कहते।

एक दिन ऑफिस के एक साथी ने श्रेया से खुद ही पूछ लिया , ‘’  तुम बच्चा प्लान क्यों नहीं कर रही हो। बहुत समय गुजरता जा रहा है। इतना सुनते ही श्रेया की आंखों से अविरल अश्रुधार  अविराम बह  निकली और श्रेया फूट-फूट कर रो पड़ी। 

श्रेया के रोने का कारण ऑफिस के साथ की  महिला समझ गई और उसने श्रेया की मदद करने का बीड़ा... उठाया। और अगले ही दिन श्रेया को अपने साथ लेकर वह एक महिला  डॉक्टर के यहां पहुंची। श्रेया समझ नहीं पा रही थी कि उसकी  साथी  महिला क्या कर रही है, लेकिन जब श्रेया की मुलाकात लेडी डॉक्टर से हुई, तो श्रेया को सब कुछ समझ में आ गया। 

डॉक्टर ने श्रेया का चेकअप किया और श्रेया का इलाज उसी दिन से शुरू हो गया। डॉक्टर ने बताया कि कुछ समय इलाज करने के बाद श्रेया ....मां बन सकती है। मां.....श्रेया और श्रवण यह सुनते ही आलिंगन बद्ध हो उछल पड़े उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। वह दोनों खुशी से झूम रहे थे, उनकी खुशी देखकर साथी महिला भी बहुत खुश थी।

श्रेया का इलाज शुरू हुआ समय से दवा खाना, परहेज करना डॉक्टर के बताए अनुसार सभी नियम कानून समय से निभाना। श्रेया और श्रवण का एक रूटीन बन गया था। समय का दोनों ही बहुत ध्यान रखते और समय से दवा खाते हुए रूटीन चेकअप के लिए जाना उनकी दिनचर्या बन गई थी। और लगभग एक साल इलाज चलने के बाद एक दिन श्रेया ने डॉक्टर को बताया..... कि इस बार के पीरियड में उसका  दो दिन चढ़ चुका है। इतना सुनते ही.....डॉक्टर ने श्रेया को बाइस दिन बाद फिर से आने के लिए कहा। ये बाइस दिन काटना पर्वत के समान हो गये थे, बाइस दिन बाद श्रेया अपने चेकअप के लिए डॉक्टर के यहां पहुंची, तो डॉक्टर ने चेकअप के बाद श्रेया और श्रवण को खुशखबरी सुनाई। और बताया कि श्रेया गर्भवती है। यह  खबर सुनकर दोनों नव दंपत्ति की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। आज खुशी से उन दोनों के पैर जमीन पर नहीं पड़ रहे थे। ऐसा लग रहा था जैसे श्रेया आसमान में उड़ रही हो, और श्रवन उसे पकड़ने दौड़ रहा हो।

श्रेया और श्रवण दोनों ने अपनी ऑफिस की साथी को बहुत-बहुत धन्यवाद देकर आभार व्यक्त किया। तब ऑफिस की स उस मित्र पर ने कहा ....अभी मुझे धन्यवाद देने की जरूरत नहीं है,जब मैं माॅसी बन जाऊं तो मुझे धन्यवाद देना।न परंतु श्रेया और श्रवन खुशी में झूम रहे थे,और बार बार उसको शुक्रिया अदा कर रहे थे। जबकि अभी तो खुशी अधूरी है।अभी तो शुरुआत है। कुछ समय गुजरने दीजिए तब पता चलेगा सब ठीक है कि नहीं।

नौ महीने बाद श्रेया ने एक सुंदर कन्या को जन्म दिया। जिसका नाम श्रेया ने सौंदर्या रखा। सौंन्दर्या अपने माता-पिता के लिए नवजीवन लेकर अवतरित हुई थी। उसने अपने माता-पिता के जीवन में खुशियों का भंडार भर दिए थे। उनका जीवन सौंदर्य से जगमग हो गया था। इसलिए श्रेया और श्रवण ने अपनी बेटी का नाम सौंदर्या रखा। इस तरह सौंदर्या का अवतरण हुआ। श्रेया और श्रवण के साथ उसके माता-पिता भी बहुत खुश हुए।आज से श्रेया के तानों का अंत हुआ।और सौंदर्या के साथ श्रेया और श्रवण सभी बहुत खुश हैं।

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15 Comments

kashish

05-Mar-2023 02:35 PM

osm

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Gunjan Kamal

26-Sep-2022 05:32 PM

शानदार

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Astha Singhal

15-Sep-2022 09:38 AM

बहुत बढ़िया

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